सोमवार, 19 अगस्त 2024
समय की रफ़्तार
सोमवार, 25 मार्च 2024
आचार्य प्रशांत के विचार मेरे द्वारा संक्षेप में
आचार्य प्रशांत के you tube प्रवचन से। ..
नमस्कार
जब मैंने अपना ये ब्लॉग शुरू किया था तो मेरा उद्देश्य यह था कि कहीं भी कुछ भी अच्छा पढ़ने या सुनने को मिले उसको अपने ब्लॉग के माध्यम से शेयर करना और इसीलिए अपने ब्लॉग को नाम दिया sharead.com
इसके अतिरिक्त अपने स्वयं के विचार भी सबसे शेयर करने के लिए मुझे ये प्लेटफार्म उपयुक्त लगा.
आज मैं यहाँ आचार्य प्रशांत के विचार जो मैंने यू ट्यूब पर सुने उनको अपनी तरफ़ से संक्षिप्त रूप में यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ.
जीवन एक है, अनमोल है.एक बार मिला है. अच्छे से क्यों ना जिया जाए. घुट घुट कर जीना दब कर जीना आवश्यक नहीं है. पूरी आज़ादी रखिये कुछ भी जानने की और सीखने की। कोई obligation न लें। दूसरों के विचारों ,इरादों ,सुझावों ,इच्छाओं और आज्ञा के अनुसार जीना आवश्यक नहीं है..अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आप आज़ादी से नहीं जी रहे, आज़ादी से जीना ही जीना है.
क्या करना है क्या नहीं इसका सही निर्णय लें. जो आपको पसंद है वो करें। उस में आपको ख़ुशी मिलेगी। और जीने के लिए खुश रहना आपका अधिकार है आपका जीवन है.इसको कैसे जीना है इसका निर्णय आपको लेना है..बंधन के बाहर आज़ादी है और आज़ादी में आंनद है। घुट घुट कर जीना और फिर ऐसे ही मर जाना अपने साथ और अपने जीवन के साथ अन्याय है। आत्मसम्मान के साथ जीना ही सही जीना है।
सम्बन्ध बनते हैं बेहतरी के लिए। अगर उनमें दुर्गति हो रही है और आज़ाद होने की ताकत नहीं है तो स्वयं में रहना बेहतर होगा।.आपका कल्याण किसमें है ये आपको समझना है.आप प्रसन्न हैं तभी आप दूसरों को प्रसन्नता दे सकते हैं।
आसानी से किसी बात को अपना कर्तव्य नहीं मान लेना चाहिए। आप जिस बात को अपना कर्त्तव्य मान लेते हैं वही आपके जीवन की दिशा निर्धारित करता है। अनिच्छा से किसी और की सेवा करना तुम्हारा कर्त्तव्य नहीं है। कभी कभी विद्रोही होना अच्छा है.वर्ना बंधन में रहने को बाधित रहोगे। जीवन स्वतंत्र हो कर जीना चाहिये। किसी दबाव में नहीं। कोई रास्ता ऐसा नहीं है जहाँ मोड़ न ले सको या जहाँ से दिशा न बदली जा सके।
बंधन आप तभी स्वीकार करते हैं जब स्वार्थ सिद्ध होता है। आज़ादी के सामने सब तुच्छ है। ऐसा क्या स्वार्थ है जो आज़ादी से बढ़ कर है? अगर अच्छा साथ ने मिले तो अपने आप में रहिये, मस्त रहिये और जीवन का आनंद उठाइये
शुक्रवार, 9 जून 2023
उम्र
मैं ज्योति कक्कड़ ,सीखने की कोई उम्र नहीं होती के अपने पाँचवे पॉडकास्ट के साथ एक बार फिर पोडकास्टर्स के माध्यम से अपने मन की बात करने आई हूँ. आप हँसे क्यों?
हर किसी के पास मन होता है ,जिसमें बहुत सी बातें होती हैं और अपने मन की बात साझा करके आनंद भी मिलता है और सुझाव भी।
पर हर कोई अच्छा वक्ता नहीं होता। अर्थात हर किसी में वो हुनर नहीं होता कि अपने मन की बात बोल कर कह सके। मुझ में भी नहीं है इसलिए मैं भी अपने मन की बात अपने ब्लॉग में लिखती हूँ और कभी कभी अपने लिखे को यहाँ आपसे पॉडकास्ट के माध्यम से साझा करने आ जाती हूँ. . तो हुआ यूँ कि
मैं पांच भाई बहन की सबसे छोटी बहन जब ब्याह कर एक संयुक्त परिवार की बहु के रूप में ससुराल पहुंची तो जिम्मेरदारिओं के मकड़जाल में जो घिरी तो घिरती ही चली गई।
ऐसा नहीं की खुद की एहमियत भूल गई पर हाँ, खुद की एहमियत को पीछे रखा. ये आम भारतीय गृहिणी की कहानी है. नया इसमें कुछ नहीं है.
पर कुलबुलाहट और बेचैनी तो थी कि ये गृहस्थी तो ऐसा मकड़जाल है कि जिसमें फंसती ही जा रही हूँ। चाह रही हूँ थोड़ा सर बाहर निकालना पर घेरा बढ़ता जा रहा है। सबके लिए समय निकाल रही हूँ पैर अपने लिए क्यों नहीं? सबको खुश कर रही हूँ पर क्या मैं खुश हूँ ?
और फिर ठान ही लिया कि ऐसे नहीं चलेगा। अपने लिए कुछ तो करना है। और फिर एक छोटा कदम बढ़ाया। औरअपना सर उस मकड़ जाल से निकाला। आदत सी हो गई थी उस मकड़जाल में रहने की तो अपने पैर उसी में फँसा कर रखे। और पंख थोड़ा फैलाए।
कुछ अपनी ख़ुशी के लिए किया जाए ये सोच कर १० साल पहले घर से ही एक छोटा व्यापार शुरू किया. जो आज मुझको ख़ुशी के साथ आत्मविश्वास और संतुष्टि भी दे रहा है.
तो अब विषय पर आते हैं और बात करते हैं उम्र की घर से ही काम शुरू किया ५७ की उम्र में। और गलतियां करते, गलतियों से खुद ही सीखते सीखते छोटे से काम को जो टाइम पास करने के लिए शुरू किया था उसको १० साल आगे ले ही आई। तो जिस उम्र में लोग नौकरी से रिटायर होते हैं ,उस उम्र में मैंने काम शुरू किया।
तो अब जब ३ कम ७० की हो गई तो अक्सर एक वाक्य सुनती हूँ कि बहुत अच्छा लगता है यह देख कर कि आप इस उम्र में काम कर रही हैं. अकेले संभाल रही हैं? मन ही मन इसको तारीफ समझ कर खुश होती हूँ पर पूछने को मन करता है कि काम करने की क्या उम्र होती है. और किस उम्र में काम बंद कर देना चाहिए,
मेरे हिसाब से तो जब तक चाह है,और जब तक आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं , जब तक आप काम को एन्जॉय रही है, और जब तक सभी परिस्थितियां आपके पक्ष में है काम करना चाहिए,
सभी को पता है कि कुशलता से घर गृहस्थी चलाने में किसी नौकरी और रोज़गार से कम समय और मेहनत नहीं लगती और उसको गृहणियां ८०=८५ वर्ष की उम्र में भी कुशलता से चलाती हैँ। इस बात को समझना बहुत आवश्यक है कि गृहस्थी चलाई है तो हममे कुछ भी करने की काबिलियत है,.वर्ना गृहणियां बहुत हीन भावना से बोलती हैं कि नही मैं कुछ नहीं करती ,घर गृहस्थी ही संभालती हूँ. आप समझिये की आप बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभा रही हैं। आप स्वयं घर पैर रह कर, हर एक की ज़रूरतों का ध्यान रख कर ,घर की सभी जिम्मेदारी उठा कर घर के बाकी सदस्यों को घर से बाहर जा कर उनका कर्रिएर बनाने का मौका दे रही हैं.
गृहस्थी चलाते चलाते व्यापार करने की ट्रेनिंग हम को अनजाने में ही मिल जाती है .
कुकिंग स्किल्स के साथ ही टाइम मॅनॅग्मेंट, फाइनेंस मॅनॅग्मेंट, बजट मॅनॅग्मेंट , पब्लिक डीलिंग स्टाफ मॅनॅग्मेंट और भी कोई स्किल व्यापार के लिए चाहिए तो वो भी गृहस्थी चला कर हम गृहणियां सीख ही जाती हैं. इसी से जब गृहस्थी चला ली तो व्यापार भी चला ही लिया। व्यापार करके आपने पैसे कमाए तो ये उतनी बड़ी उपलब्धि नहीं है जितना रसोई से निकल नए फील्ड में काम करके आपने कुछ नया सीखा,समय का सदुपयोग कियाअपने लिए समय निकाला इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ा और आप अपने लिए भी जी रही हैं. फिर उम्र को आप पीछे छोड़ देती हैं. कोई याद दिला दे तो उम्र की गिनती याद आ जाती है।
वैसे भी जिसने पहले घर गृहस्थी संभाली और अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाया. उसको ६० की उम्र के बाद अपने को वैसे ही पहले की तरह व्यस्त रखने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ ठीक रहता है। व्यस्त रहने का रास्ता अपनी अपनी पारिवारिक परिस्थिति पर निर्भर करता है या तो अपने शौक पूरे करने चाहिए या कोई काम ज़रूर करना चाहिए। जब कोई ज़िम्मेदारी नहीं है, जब बच्चे जीवन में सेटल हो गये हैं तो उस खालीपन को भरने के लिए व्यस्त रहने का इससे अच्छा रास्ता नहीं है. काम ऐसा जो आपको ख़ुशी दे। आपके शौक पूरे करे, और जिससे आप कुछ नया सीखें मकसद है स्वयं को खुश रखना और जीवन को अपने अपने लिए जीना। आर्थिक आत्मनिर्भरता बाद में आती है पहले शारीरिकऔर मानसिक दशा बदलती है. .
lockdown में समय की मांग को देखते हुए गृहणियों ने अपनी पसंद के कार्य को रोज़गार बनाया टिफ़िन सर्विस हो या अचार पापड़ बनाना, पढ़ाना हो या खुद कुछ सीखना.
अब जब बचे हुए समय में मैंने पसंद का काम किया तो उससे ख़ुशी के साथ रोज़ कुछ नया सीखने को मिला। रोज़ नए लोगों से मिलना होता हैं। उन की सुन कर अपनी कह कर ज्ञान का आदान प्रदान हो जाता है. ।
समय के साथ दुनिया बदल रही है. और तेज़ रफ़्तार से बदल रही है और प्रतिदिन एक नई चुनौती सामने आती है और हम गृहनियों को चुनौती का सामना करना अच्छी तरह से आता है.
जब एक औरत ७० की उम्र में सड़क किनारे सब्ज़ी बेच रही है या दूरों के घर बर्तन,सफाई कर रही तो हम घर बैठ कर हर सहूलियत के बीच जो कर रहे हैं वो कुछ भी नहीं.
अगर कुछ करने इच्छा है तो उम्र की न सोचें और अपनी रूचि, क्षमता ,अपनी पारिवारिक परिस्थिती के अनुसार जो कर सकें ,करें। नहीं इच्छा है तो भी कोई बात नहीं। मकसद है ख़ुशी से जीना। ता उम्र ज़िम्मेदारियाँ रूप बदल कर आती रहेंगी। पहले आप माँ थी ,अब दादी हैं। उम्र के साथ बढ़ती ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना भी बहुत बड़ा काम है. गृहस्थी में उम्र बढ़ने के साथ हमारी भागीदारी बदल जातो है। और समय के साथ खुद को बदल कर,बदलती हुई जिम्मेदारिओं को सहर्ष अपना कर ही हम गृहणियां आगे बढ़ती जाती हैं।
काम करने और सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती. .और अभी उम्र है अपने हिसाब से जीवन जीने की . काम करने की। समय अगर चलते फिरते, ख़ुशी के साथ बीते तो इससे अच्छा कुछ नहीं. तो उम्र की गिनती अब नहीं करनी है। हर दिन को जीना है. समय के साथ आगे बढ़ना है।
मिलते हैं अगले एपिसोड में जल्दी ही कुछ और मन की बात करने को। खुश रहे स्वस्थ रहे।
सोमवार, 8 मई 2023
रिश्ते - कच्चे धागे या पक्के. script for podcast 4
रविवार, 9 मई 2021
सबसे सुखी कौन?
१- जिसके सर पर क़र्ज़ न हो।
२- जिसका उत्तम स्वास्थ्य हो.
३- जिसके बच्चे आज्ञाकारी हों और बड़ों का आदर करते हों.
४- जिसके बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम हों और उनको कभी किसी से आर्थिक सहायता की आवश्यकता न पड़े.
५-जो इतने सक्षम हों कि उनको कभी भी अपने बच्चों से आर्थिक सहायता की आवश्यकता न पड़े.
६ - जो जीवन को उत्सव समझ कर मस्त हो कर जीवन जियें.
७- जो अपने आप में मस्त रहे। दुःख विपत्ति को सहेज हो कर झेले और सफलता पर पाँव धरती पर रखे.
शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020
NO BODY IS PERFECT.
I am happy that i know it.......
" I am not good at many things but im good in few things and I enjoy these few things . That is enough to be happy."