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नमस्कार ,
मै ज्योति कक्कड़ । आयु ६४ साल.
अपने प्रथम प्रयास के साथ HEADFONE के मंच पर उपस्थित हूँ।
मैंने अपने इस नए प्रयास को नाम दिया है " सीखने की कोई आयु नहीं होती ।
२०२० आया तो हमेशा की तरह सबने एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनायें दीं।
२०२० के लिए सबके अपने अपने PLAN रहे होंगे, उम्मीदें रही होंगी।
किसी को अपने अधूरे काम पूरे करने थे, किसी को नई दिशा में अपना कदम बढ़ाना था।
पर ऊपर वाला हमारे लिए कुछ और ही प्लान कर रहा था. और फिर उसने हमको ऐसी परिस्थिति में डाला जहाँ सबके दौड़ते भागते जीवन में एक ठहराव सा आ गया। हम सबके जीवन में एक नई परिस्थिति उत्त्पन्न हो गई। वो समय जो हाथ न आता था, हमको रोकने के लिए खुद हमारे साथ रुक गया।
कोरोना के रूप में ईश्वर ने हमारे सामने ये नई परिस्थिति उत्त्पन की। सभी के लिए संघर्ष का समय शुरू हो गया. रोजी रोटी के लिए संघर्ष, जीने के लिए संघर्ष। कई घर से बेघर हुए. और उनके पहले से ही संघर्षरत जीवन में और कठिन संघर्ष शुरू हुआ। वो बहुत कठिन समय था। सब तरफ आपाधापी, संशय था। और ये मनुष्य ही है जो ईश्वर प्रदत्त हर परीक्षा में सफल होने के लिए प्रयासरत रहता है.
LOCKDOWN ने सबका जीने का ढंग बदल दिया। मुहावरा बदल गया जिसमें १९-२० के अंतर का मतलब था नाम मात्र का अंतर पर १९ से २० में प्रवेश करते ही इस धरती पर ऐसा बदलाव आया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
मनुष्य के लिए संघर्ष का समय आया पर मनुष्य का स्थिर होना पर्यावरण में सुखद बदलाव लाया । मानो ईश्वर प्रकृति का सुन्दर, प्रदुषण रहित रूप दिखा कर हम इंसान को सुधर जाने का पाठ पढ़ा रहा हो।
ये हमारे धैर्य की, विपत्ति से निपटने में हमारी समझदारी की परीक्षा का समय है। समय है कर्म का , समय है रचनात्मकता का, समय है अपनी प्रतिभा को निखारने का. कुछ नया करने और सीखने का। और इस सीखने में स्मार्टफोन और इंटरनेट मिल कर हमारे सहायक बने हैं।
मैंने भी इस समय का सदुपयोग करने का प्रयास किया है। दराज़ों को खंगाला तो सालों पुरानी अखबारों की cuttings मिलीं। कुछ रसोई से सम्बंधित लेख , कुछ सौंदर्य और सेहत से सम्बंधित लेख, दादी माँ के नुस्खे, कुछ पसंदीदा फ़िल्मी गाने, कुछ भजन ,कुछ आध्यात्म के लेख,और भी न जाने क्या क्या,जो wapp और facebook की दुनिआ में प्रवेश के बाद दराज़ के अंदर सोये पड़े थे।
समय और आयु बढ़ने के साथ मनुष्य की रुचियाँ बदल जाती हैं और कई बार जीवन की आपाधापी में दबी रह जाती हैं और कहीं पीछे छूट जाती हैं।
पाया कि पकवान बनाने में अब कोई ख़ास रूचि रही नहीं . बचा संगीत ,अध्यात्म और सेहत जिनकी और इस आयु में झुकाव हो ही जाता है। अब इन्ही के साथ कुछ नया करने का प्रयास किया है। प्रयास है तो त्रुटि भी होगी। उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। इसमें मेरी बुद्धि का प्रयोग उतना ही है कि जो पढ़ा ,नेट पर देखा, सुना उसको एक नए मंच पर लाने का प्रयास किया।
सीखने की कोई आयु नहीं होती. इधर पॉडकास्ट का बहुत नाम सुना. गूगल से इसकी जानकारी ली। गूगल ऐसी पाठशाला है जहाँ आप किसी विषय पर प्रश्न पूछो तो वो उस विषय पर ज्ञान देने के साथ आगे के लिए रास्ते दिखाता है। उसी से कई मंच पता लगे जहाँ आप पॉडकास्ट बना और प्रस्तुत कर सकते हैं।
अब अगला कदम था कि पॉडकास्ट का विषय क्या हो ? तो विचार आया कि पूजा के समय बहुत सुकून देने वाले मन्त्र हम पढ़ते हैं या जाप करते हैं. कई बार हमको उनका अर्थ नहीं पता होता. विचार आया की जो मंत्र बिना उनका अर्थ जाने , पढ़ने पर इतना सुकून देते हैं यदि उनका अर्थ पता हो तो शायद उनके जाप में और भाव जुड़ेगा. इसी विचार के साथ अगले एपिसोड की शुरुआत करूंगी कुछ मंत्र और उनके अर्थ के साथ ।
एक बार फिर दोहराना चाहूंगी कि जो प्रस्तुत कर रही हूँ उसका मुझको अल्प ज्ञान है। वो कहीं से पढ़ा या सुना है. इसलिए किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा चाहती हूँऔर किसी भी सुधार के लिए आपसे सुझाव की अपेक्षा रखती हूँ क्योंकि सीखने की कोई आयु नहीं होती। 🙏
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