सोमवार, 19 अगस्त 2024

समय की रफ़्तार

नमस्कार.मैं ज्योति कक्कड़ एक बार फिर पॉडकास्टर्स के माध्यम से एक नये विषय पर अपने विचार ले कर आई हूँ और विषय है समय की रफ़्तार।
समय तेज़ी से बदल रहा है और हमारी  पीढ़ी जो आज ५० से ऊपर की है उसने इन ५० सालों में जो  बदलाव देखा है उसके बारे में कहाँ से शुरू किया जाये और कहाँ ख़त्म किया जाये।ग्रहणी की रसोई से उसके आज के रहन सहन तक, बच्चों की शिक्षा पद्धति से उनके लिए असंख्य करियर ऑप्शन तक और पुरुषों के नौकरी एवं व्यापार करने के तरीक़े सब बदल गया है. इस पीढ़ी ने घोड़ा गाड़ी की सवारी भी की है और हवाई जहाज की भी. टेलीग्राम से लैंडलाइन और लैंडलाइन से मोबाइल तक रेडियो से टीवी तक और फिर कंप्यूटर तक नया आता गया पुराना जाता रहा,
समय की रफ़्तार देखनी है तो इंटरनेट पर देखें। हर दिन कुछ नया सामने आ रहा है। जब तक हम उसको समझते हैं ,सीखते हैं,और फिर उसके अभ्यस्त हो जाते हैं तब तक एक नई चीज़ सामने आ जाती है. हमने ऑरकुट के समय से इसके पीछे चलना शुरू किया और फिर एक के बाद एक फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम के साथ चलते चलते कब हमारी रफ़्तार बढ़ गई और हम भागते भागते सबसे हाथ मिलते हुए ऐ आई  तक आ गए। इंटरनेट के आने के बाद बहुत कुछ  बदल गया.दुनिया छोटी हो गई  दूरियां कम हो गई और अवसर बढ़ गए. जीने के काम करने के तरीके  बदल गए , लोगों को आगे बढ़ने के अवसर मिले सब कुछ बदल गया। वो दुनिआ ,वो जीने का तरीका इतिहास बन गया जो हम ५० के दशक की पीढ़ी ने देखा और जिया था. 
इस पीढ़ी ने देखा है कि समय की रफ़्तार क्या होती है। जिन्होंने इस रफ़्तार के साथ कदम नहीं बढ़ाये ,वो थोड़ा पीछे रह गए. जो ज्ञान इंटरनेट से मिल रहा है उससे वो वंचित रह गए। 
शुरू में बहुत हल्ला हुआ कि सोशल मीडिया पर हर कोई अपना ज्ञान बघार रहा है। बहुत ज्यादा इनफार्मेशन अर्थात् सूचना है
पर इसको अगर हम सकारात्मकता से लें तो इससे अच्छी क्या बात है? हर विषय पर ज्ञान है, जिसको आप घर बैठे हासिल कर रहे हैं, दुनिया देख रहे हैं और प्रेरणा मिल रही है कि ये तो हम भी सीख सकते हैं, कर सकते है। कुछ भी नया हो  तो सकारत्मकता से देखें या सुने। काम का है तो आत्मसात कीजिये ,उससे लाभ उठाइये ,समय के साथ आगे बढिये. सबका कार्य क्षेत्र, रूचि एक सा नहीं है. जो हमारे काम का नहीं है वो दूसरे के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है. ज्ञान का भण्डार है इंटरनेट पर, बहुत कुछ  सीखने को है. आपको निर्णय लेना है कि आपको क्या ज्ञान चाहिए. .इसलिए जो आपके काम का है उसकी तरफ बढ़ें. कोई आपको बाध्य नहीं कर रहा है. सब अपनी समझ से अपना ज्ञान वहां प्रस्तुत कर रहे हैं. अच्छा ना लगे तो कुछ और खोजें।  पर हर बात को आँख बंद करके नहीं मानना है. अपनी समझ लगानी  है. एक ही डॉक्यूमेंट्री देख कर या एक ही पॉडकास्ट सुन कर, एक ही वीडियो देख  कर अपना मत न बनाएं  जितना सुनें, देखें उसमें अपनी समझ से क्या आपकी रूचि का है या आपके  लिए क्या  उपयोगी है, उसको अपनाएं. 
जैसे एक सिक्के के दो पहलु होते हैं वैसे ही इंटरनेट के दो पहलु है. इसका उपयोग हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उसका कैसे लाभ उठाएं, कहाँ से कुछ नया सीखें ,कैसे अपने जीवन को सरल बनाएं. इंटरनेट हर आयु के लोगों के लिए सहायक है ,मित्र है. परन्तु यदि हम उसका सही इस्तेमाल न करें तो ये हमारा शत्रु भी है. इसके गलत इस्तेमाल से हम कई परेशानियों से घिर जाते हैं. छोटे बच्चे पढाई में इसकी सहायता लें, कुछ ज्ञानवर्धक वीडियो देखें या ज्यादा समय मोबाइल गेम खेल कर अपनी आँख का और अपने समय का नुक्सान करें.,ये चॉइस है। इसी तरह हम इसको मनोरंजन का साधन बनाएं या ज्ञान अर्जन का ये भी चॉइस है.  
कुछ नया सीख कर प्रसन्नता  होती है और आत्म विश्वास बढ़ता है। समय के साथ आगे बढ़ने से आपकी राय बनती है,आप एक पुराने ढर्रे को छोड़ कर नई  पीढ़ी के साथ चलने  लगते हैं और दुनिया को देखते समझते हैं. इसलिए नया सीखिए नयाअपनाइए और समय के साथ आगे बढ़िए, धन्यवाद।मिलती हूँ जल्दी ही किसी नये विषय के साथ।

सोमवार, 25 मार्च 2024

आचार्य प्रशांत के विचार मेरे द्वारा संक्षेप में

   आचार्य प्रशांत के you tube प्रवचन से। ..

नमस्कार

जब मैंने अपना ये ब्लॉग शुरू किया था तो मेरा उद्देश्य यह था कि कहीं भी कुछ भी अच्छा पढ़ने या सुनने को मिले उसको अपने ब्लॉग के माध्यम से शेयर करना और इसीलिए अपने ब्लॉग को नाम दिया sharead.com

इसके अतिरिक्त अपने स्वयं के विचार भी सबसे शेयर करने के लिए मुझे ये प्लेटफार्म उपयुक्त लगा. 

आज मैं यहाँ आचार्य प्रशांत के विचार जो मैंने यू ट्यूब पर सुने उनको अपनी तरफ़ से संक्षिप्त रूप में यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ.

जीवन  एक है, अनमोल है.एक बार मिला है. अच्छे से क्यों ना जिया जाए. घुट घुट कर जीना दब कर जीना  आवश्यक नहीं है. पूरी आज़ादी रखिये कुछ भी जानने  की और सीखने की। कोई obligation  न लें। दूसरों के विचारों ,इरादों ,सुझावों  ,इच्छाओं और आज्ञा के अनुसार जीना आवश्यक नहीं है..अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आप आज़ादी से नहीं जी रहे, आज़ादी से जीना ही जीना  है. 

क्या करना है क्या नहीं इसका सही निर्णय लें. जो आपको पसंद है वो करें। उस में आपको ख़ुशी मिलेगी। और जीने के लिए खुश रहना आपका अधिकार है आपका जीवन है.इसको कैसे जीना है इसका निर्णय आपको लेना है..बंधन के बाहर आज़ादी है और आज़ादी में आंनद है। घुट घुट कर जीना और फिर ऐसे ही मर जाना अपने साथ और अपने जीवन के साथ अन्याय है। आत्मसम्मान के साथ जीना ही सही जीना है।  

सम्बन्ध बनते हैं बेहतरी के लिए। अगर उनमें दुर्गति हो रही है और आज़ाद होने की ताकत नहीं है तो स्वयं में रहना बेहतर होगा।.आपका कल्याण किसमें है ये आपको समझना है.आप प्रसन्न हैं तभी आप दूसरों को  प्रसन्नता दे सकते  हैं। 

आसानी से किसी बात को  अपना कर्तव्य  नहीं  मान  लेना  चाहिए। आप जिस बात को अपना कर्त्तव्य  मान लेते हैं वही आपके  जीवन की दिशा निर्धारित करता  है। अनिच्छा से किसी और की सेवा करना तुम्हारा कर्त्तव्य नहीं है।  कभी कभी विद्रोही होना अच्छा है.वर्ना बंधन में रहने को बाधित रहोगे। जीवन स्वतंत्र हो कर जीना चाहिये।  किसी  दबाव  में नहीं। कोई रास्ता ऐसा नहीं है जहाँ मोड़ न ले सको या जहाँ से दिशा न बदली जा सके। 

बंधन आप तभी स्वीकार करते हैं जब स्वार्थ सिद्ध होता है। आज़ादी के सामने सब तुच्छ है। ऐसा क्या स्वार्थ है जो आज़ादी से बढ़ कर है? अगर अच्छा साथ ने मिले तो अपने आप में रहिये, मस्त रहिये और जीवन का आनंद उठाइये