सच क्या है और झूठ क्या है? सच झूठ लगता है और झूठ सच लगता है। दिमाग़ी स्थिति ऊहापोह की है। समझना ज़रूरी है , कोशिश की और ये समझ आया कि
सच है तुम्हारी दुनिया, तुम्हारे लोग, तुम्हारा समय, तुम्हारी सोच,तुम्हारी शक्ति, तुम्हारी क़ाबिलियत, तुम्हारी परिस्थिति और उसकेअनुसार कार्य करने का, जीवन चलाने का तुम्हारा तरीक़ा।तुम्हारा व्यवहार, तुम्हारा स्वभाव
और
झूठ है दुनिया जो तुम्हारी है, तुम्हारे चारों ओर है, जो तुमको दिखती है, झूठ है वो समाज जिसका तुम अनुसरण करना चाहते हो।जिससे तुमको रिश्ता निभाना है ,जिससे तुम अपनी तुलना करते हो। जिसको तुम हराना चाहते हो या जिससे तुम आगे रहना चाहते हो या उसकी बराबरी करना चाहते हो, और जब नहीं कर पाते तो उससे ख़ुद को अलग कर लेते हो। अपने में खुश रहने की कोशिश करते हो। पर ये सब हो नहीं पाता और तुमको झूठा जीवन जीना होता है।
झूठ है वो जीवन जो तुम्हारा नहीं है तुमको मिला है। झूठ है जीवन जो तुम को जीना है, तुम्हें कुछ और करना था। झूठ है तुम्हारी सोच, तुम्हारा स्वभाव जो तुम्हारा नहीं था, परिस्थिति से बन गया या तुमने बना लिया।
सच है तुम्हारी क़ाबिलियत । जिससे तुमने झूठ की दुनिया में अपना एक रास्ता बनाया।और जीवन को सच बनाया।